ग्रहण काल सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण ( Solar And Lunar Eclipses) में विद्वानों ने भोजन करना या जल पीना वर्जित किया है| प्राचीन काल के हमारे जिन ऋषि मुनियों ने ग्रहण काल में भोजन करना वर्जित बताया है उनके कथनानुसार ग्रहण के समय भोजन दूषित हो जाता है। खाद्य पदार्थ, जल आदि में सूक्ष्मजीव प्रविष्ट हो जाते हैं और वह खाने योग्य नहीं रह जाता।
अतः जब ग्रहण लगे तो उस समय भोजन और जल आदि में कुश डाल देना चाहिए ताकि सारे जीवाणु कुश (Kush) में एकत्रित हो जाए और जब ग्रहण समाप्त हो जाए तब आप उस कुश को निकाल कर बाहर फेंक दे। कुश के साथ चिपके जीवाणु भी बाहर निकल जाएंगे और खाना दूषित होने से बच जाता है। ग्रहण के पश्चात स्वयं स्नान करके भोजन करें क्योंकि जो जीवाणु आपके शरीर से चिपके होंगे वह स्नान करने से आपके शरीर से छूटकर पानी के साथ बह जाएंगे।
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वैज्ञानिक दृष्टि से ग्रहण के समय सूर्य या चंद्रमा पृथ्वी से ऐसे कोण पर होता है जहां से उसकी विषैली किरणें पृथ्वी तक आती है। यह विषैली किरणें भोजन आदि खाद्य पदार्थों को दूषित कर देती हैं । ग्रहण के प्रदूषण से बचने के लिए भोज्य पदार्थों या पेय पदार्थ में तुलसी के पत्ते डाल देने चाहिए क्योंकि तुलसी में जीवाणुओं (Tulsi kills germs) से लड़ने की और उन्हें मारने की अद्भुत क्षमता होती है। तुलसी में अनेक औषधीय गुण भी होते हैं।
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