ग्रहण काल में भोजन करना वर्जित क्यों है?Avoiding Food During Eclipses

lunar eclipse

ग्रहण काल सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण ( Solar And Lunar Eclipses) में विद्वानों ने भोजन करना या जल पीना वर्जित किया है| प्राचीन काल के हमारे जिन ऋषि मुनियों ने ग्रहण काल में भोजन करना वर्जित बताया है उनके कथनानुसार ग्रहण के समय भोजन दूषित हो जाता है। खाद्य पदार्थ, जल आदि में सूक्ष्मजीव प्रविष्ट हो जाते हैं और वह खाने योग्य नहीं रह जाता।

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अतः जब ग्रहण लगे तो उस समय भोजन और जल आदि में कुश डाल देना चाहिए ताकि सारे जीवाणु कुश (Kush) में एकत्रित हो जाए और जब ग्रहण समाप्त हो जाए तब आप उस कुश को निकाल कर बाहर फेंक दे। कुश के साथ चिपके जीवाणु भी बाहर निकल जाएंगे और खाना दूषित होने से बच जाता है। ग्रहण के पश्चात स्वयं स्नान करके भोजन करें क्योंकि जो जीवाणु आपके शरीर से चिपके होंगे वह स्नान करने से आपके शरीर से छूटकर पानी के साथ बह जाएंगे।

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वैज्ञानिक दृष्टि से ग्रहण के समय सूर्य या चंद्रमा पृथ्वी से ऐसे कोण पर होता है जहां से उसकी विषैली किरणें पृथ्वी तक आती है। यह विषैली किरणें भोजन आदि खाद्य पदार्थों को दूषित कर देती हैं । ग्रहण के प्रदूषण से बचने के लिए भोज्य पदार्थों या पेय पदार्थ में तुलसी के पत्ते डाल देने चाहिए क्योंकि तुलसी में जीवाणुओं (Tulsi kills germs) से लड़ने की और उन्हें मारने की अद्भुत क्षमता होती है। तुलसी में अनेक औषधीय गुण भी होते हैं।

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Image Courtesy-google

ग्रहण के समय हमारी जीवनी शक्ति का ह्रास होता है और तुलसी दल यानी कि तुलसी के पत्तों में विद्युत शक्ति और प्राण शक्ति सबसे अधिक होती है। तुलसी के प्रभाव से भोज्य पदार्थ प्रदूषण से मुक्त रहते हैं। वैज्ञानिकों ने अपने शोधों में पाया है कि ग्रहण के समय सूर्य या चंद्र के विशेष आकर्षण के कारण मनुष्य की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है इसलिए ग्रहण के समय भोजन कदापि नहीं करना चाहिए।
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News Desk