धार्मिक कार्य में हिंदू लोग क्यों बजाते हैं शंख, Importance of Shankh

Shankh-

शंख (Conch) भारतीय संस्कृति की  पहचान है। शंख को हमेशा से वाद्ययंत्र के रूप में पेश किया गया है। सनातन धर्म में शंख का काफी महत्व (Importance of Shankh) है। शंख को देवताओं से जोड़ा जाता है। हर देवता का कोई न कोई शंख जरूर होता है  और इसका एक नाम भी होता है। जैसे कि भगवान कृष्ण के शंख का नाम पांचजन्य (Panchjanya) बताया जाता है।

conch

पूजा कथा आरती एवं अन्य धार्मिक कार्य करते समय हिंदू लोग शंख बजाते हैं। इसके पीछे हिंदू वर्ग की पूर्ण रूप से धार्मिक आस्था निहित है। अथर्ववेद 4/10/2 के अनुसार शंख की ध्वनि जहां तक पहुंचती है वहां तक के राक्षसों का नाश हो जाता है। युद्ध क्षेत्र में शंख फूंक कर एक प्रकार से शत्रु को ललकारने के साथ उसके हृदय में भय उत्पन्न करने का कार्य करते हैं।

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महाभारत के युद्ध में भी बहुत से शंखों का वर्णन मिलता है।महाभारत में कृष्ण जी की शंख ध्वनि सुनकर कौरवों के हृदय कांप उठे थे। पूजा में शंख ध्वनि का तात्पर्य है कि जिस देवी अथवा देवता की पूजा कर रहे हैं, शंखध्वनि करके उनका जयकारा करते हैं।

importance of shankhImage Courtesy-google

शंख ध्वनि करने के पीछे वैज्ञानिक रहस्य भी है। शंख ध्वनि करने वाले व्यक्ति को दमा की बीमारी, श्वास रोग, फेफड़ों का रोग, इन्फ्लुएंजा आदि नहीं होता। यदि कोई व्यक्ति बोलने में हकलाता है तो उसे बार-बार शंख बजाने को कहा जाए। इससे हकलाना कम हो जाता है।

पूजा के पश्चात प्रायः शंख का जल लोगों पर चढ़ते हैं क्योंकि पूजा के समय शंख में जल भरकर देवस्थान में रखते हैं। इसके बाद उसमें चंदन का टीका लगाते हैं। चंदन का टीका लगाने से शंख में भरा जल चंदन की सुगंध से परिपूर्ण हो जाता है। तत्पश्चात पूजा की समस्त सामग्रियों पर वह सुवाषित जल छिड़कते हैं और पूजा में उपस्थित व्यक्तियों के ऊपर भी छिड़कते हैं।

शंख में रखे जल को मंत्रोचार करते हुए छिड़कना चाहिए जिससे कि समस्त वस्तुएं पवित्र हो जाएं। ऐसी मान्यता है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। शंख में कैल्शियम, फास्फोरस और गंधक की मात्रा होती है। शंख में भरे जल को छिड़कने से वस्तुएं रोगाणु रहित हो जाती हैं।

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News Desk