महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन (Mahakaleshwar Temple, Ujjain) हिंदू धर्म में आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। यह मंदिर भगवान शिव (Lord Shiva)को समर्पित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान भोले शंकर की प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जिसे भगवान शिव की सबसे पवित्र ज्योतिर्लिंग माना गया है। यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य में उज्जैन शहर में स्थित है। इस मंदिर के समीप ही रुद्र सागर झील भी है यहां आकर भक्त धन-धान्य और सुख संपत्ति से युक्त हो जाते हैं। भगवान शिव उनकी समस्त इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर की कुछ खास बातें।
दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग विश्व का ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। इसी ज्योतिर्लिंग के कारण उज्जैन हिंदू धर्म में प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक विशेष तीर्थ स्थल माना गया है। यहां भगवान शिव महाकालेश्वर रूप में अधिष्ठाता देवता के रूप में पूजे जाते हैं। जिनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी में हुआ था किंतु 140 वर्ष बाद इल्तुतमिश ने इसे गिरा दिया था। वर्तमान में स्थित इस मंदिर को 250 वर्ष पहले बाबा रामचंद्र शेन्वी ने बनवाया था। मंदिर में महाकालेश्वर के अतिरिक्त ओमकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर के शिवलिंग भी प्रतिष्ठित हैं।
भगवान शिव की भस्म आरती
भगवान शिव की पूजा में भस्म आरती का अलग महत्व है यह एक मात्र विशेष आरती है जो विश्व में सिर्फ इसी मंदिर में होती है। प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार भगवान शिव की इस भस्म आरती में जरूर सम्मिलित होना चाहिए। इस आरती के द्वारा भगवान शिव को जागृत किया जाता है और उनका श्रृंगार भी किया जाता है। मान्यता यह थी कि इस आरती में प्रयुक्त भस्म श्मशान घाट में ताजी जलाई गई चिता की राख से ली जाती है किंतु वर्तमान समय में गाय के गोबर के कंडो को जलाकर उसकी राख से यह आरती की जाती है।
भस्म आरती के लिए कुछ खास नियम भी मंदिर परिसर में लिखे गए हैं। भगवान शिव की भस्म आरती में केवल पुरुष ही सम्मिलित हो सकते हैं महिलाओं के लिए इस आरती को देखना वर्जित है। भस्म आरती से दिन की शुरुआत होने के बाद महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की दुग्दोधन आरती, महा भोग आरती, संध्या आरती, पुनः संध्या आरती और शयन आरती होती हैं जिनका समय अलग अलग होता है।
Read More-
क्यों मनाया जाता है महा शिवरात्रि (Maha Shivaratri) का त्यौहार ?
तो इसलिए चढ़ाया जाता है हनुमान जी को सिंदूर, Offering Sindoor on Hanuman
प्रमुख 12 प्राचीन ज्योतिर्लिंग
Image Courtesy-google
भगवान शिव ने अपने भक्तों के समक्ष स्वयं को ज्योति के रूप में प्रकट किया था। इसी कारण भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजे जाते हैं। भगवान शिव की प्रमुख 12 प्राचीन ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार दूषण नामक एक राक्षस ने अवंती के निवासियों को परेशान किया। तब भगवान शिव उस राक्षस को परास्त करने के लिए धरती पर प्रकट हुए और अवंती के निवासियों की प्रार्थना पर भगवान शिव यहां महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विद्यमान हो गए।