हिंदू धर्म के लोग क्यों बनाते हैं स्वास्तिक (Swastik) का चिन्ह

Swastik

हिंदू धर्म में प्राचीन काल से ही किसी शुभ कार्य को करने से पहले स्वास्तिक चिन्ह (Swastik) बनाने व उसके पूजन की प्रथा चली आ रही है। स्वास्तिक शब्द का अर्थ है- अच्छा या मंगल करने वाला। यह तीन शब्दों की व्याख्या करता है- सु +अस + क। सु अर्थात अच्छा,  अस अर्थात सत्ता (अस्तित्व), क अर्थात कर्ता।

Swastic is an important sign of Hindu

मांगलिक कार्यक्रमों में स्वास्तिक का चिन्ह सिंदूर, रोली या कुमकुम से बनाया जाता है। यह कल्याण का प्रतीक है। भारतीय दर्शन के अनुसार  स्वास्तिक की चारो रेखाएं चार वेद, चार आश्रम, चार पुरुषार्थ चार लोक और चार देवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश व गणेश) को दर्शाते हैं।

Swastik

स्वास्तिक चिन्ह केवल हिंदुओं में ही नहीं प्रचलित है बल्कि अन्य धर्म संप्रदाय के लोग भी इसे पवित्र मानते हैं। ईसाइयों में पवित्र क्रॉस को लोग गले में धारण करते हैं।

Dhanya-lakshmi-

स्वस्तिक (Swastik) को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो धन आवेश के रूप में समझ सकते हैं। धन आवेश अर्थात पॉजिटिव पॉइंट। दो ऋणात्मक शक्ति प्रवाहों के मिलने से धनात्मक आवेश (+) बना। यह स्वस्तिक का अपभ्रंश ही है। ईसाइयों के क्रॉस शब्द का विच्छेद करने पर शब्द मिलता है- करि+आस्य जिसका अर्थ होता है ‘हाथी के मुख वाला’। ईसाइयों के प्रसिद्ध शब्द क्राइस्ट का संधि विच्छेद करने पर 3 शब्द मिलते हैं कर + आस्य + इष्ट इसका तात्पर्य हाथी के समान मुख वाला होता है। हाथी के समान मुख वाले अग्रपूज्य देव गणेश जी हैं।

lord Vishnu

स्वास्तिक (Swastik) चिन्ह श्री गणेश जी के साकार विग्रह का स्वरुप है। स्वास्तिक चिन्ह के दोनों तरफ दो रेखाएं गणेश जी की पत्नी रिद्धि और सिद्धि और दो पुत्रों  शुभ और लाभ को दर्शाती हैं स्वस्तिक की चार भुजाएं श्री विष्णु जी के चार हाथ माने गए हैं। स्वास्तिक चारों दिशाओं की ओर शुभ संकेत देती है। स्वास्तिक श्री लक्ष्मी का भी प्रतीक है। भगवान विष्णु और धन संपत्ति की अधिष्ठात्री देवी का प्रतीक स्वास्तिक है।

Read More-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शराब पीना क्यों उचित नहीं है

जानिए क्यों चढ़ाते हैं शनि देव की प्रतिमा पर तेल

importance of Swastik

Image Courtesy-google

पूजा-पाठ या अन्य शुभ कर्मों के अवसर पर ब्राह्मण लोग शुभत्व की प्राप्ति के लिए स्वास्तिक का चिन्ह बनाते हैं। इसके अतिरिक्त स्वास्तिक का चिन्ह माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए, व्यापार को बढ़ाने के लिए, धन प्राप्ति के लिए, मनोकामना पूरी करने के लिए, घर में सुख शांति के लिए और अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए भी बनाया जाता है।

If you like the article, please do share
News Desk