चाहे धमकी समझिये या सुझाव, दुनिया की कोई ताकत राम जन्मभूमि पर नहीं बनवा सकती मस्जिद

Regardless of threat or suggestion, no power in the world can be built on the Ram Janmabhoomi.

लखनऊ. अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण को लेकर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर विश्वास जताते हुये राम जन्म भूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. रामविलास वेदांती ने कहा कि पाकिस्तान परस्त कुछ कट्टरपंथी ताकतें इस मसले को लटकाये रखकर देश का सांप्रदायिक सदभाव बिगाड़ने का प्रयास कर रही है लेकिन उन्हे मालुम होना चाहिये कि रामजन्मभूमि परिसर में दुनिया की कोई भी ताकत मस्जिद नहीं बनवा सकती।बताया जा रहा है कि इनके इस नए बयान से अयोध्या मामला एक बार फिर गरमा गया है।

वेदांती-मंदिर वहीं बनेगाः

कार्यकारी अध्यक्ष वेदांती ने मंदिर विवाद पर बयान देते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘अयोध्या में जहां राम लला विराजमान हैं, वहां दुनिया की कोई भी ताकत अब मस्जिद का निर्माण नहीं करा सकती।’ इसके बाद जब उनसे यह पूछा गया कि यह धमकी है या सुझाव तो वेदांती बोले, ‘चाहे धमकी समझिए या सुझाव …. किसी कीमत पर कोई भी, जहां राम लला विराजमान हैं, वहां मस्जिद का निर्माण नहीं किया जा सकता।’ उन्होंने यह भी कहा कि कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों को छोड़कर सभी मुसलमान भी यही चाहते हैं कि राम जन्मभूमि पर रामलला का मंदिर ही बने ।

80 फीसदी मुसलमान चाहते हैं बने राम मंदिर

डा वेंदाती ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों से कहा कि देश के 80 फीसदी मुसलमान इस विवाद के जल्द समाधान के पक्ष में है। वे भी जन्मभूमि पर राम मंदिर देखना चाहते है लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मसले को उलझाये रखना चाहता है जिससे देश के अमन चैन को नुकसान पहुंचाया जा सके। इसके लिये उसे पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों से धन मिलता है। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी इस बारे में पहले ही बयान दे चुके हैं। उन्होने कहा कि काशी,मथुरा और अयोध्या समेत देश भर में 30 हजार से अधिक मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनायी गयी लेकिन संत समाज ने कभी 30 हजार मंदिर की मांग नहीं की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ समेत देश के संतों ने केवल तीन मंदिरों की मांग का प्रस्ताव रखा था जिसमे काशी में विश्वनाथ मंदिर, मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि और राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण शामिल है।

इस प्रस्ताव पर विहिप के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंहल और रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे रामचन्द्र परमहंस दास के हस्ताक्षर है। उस समय सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद शहाबुद्दीन ने कहा था कि अगर यह साबित हो जाये कि विवादित भूमि पर मंदिर के अवशेष है तो उन्हे मंदिर निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं है। सैयद शहाबुद्दीन आज जीवित नहीं है लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमाण मिलने के बाद उच्च न्यायालय से अपना दावा वापस लेना चाहिये था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

उन्होने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड पहले ही इच्छा जता चुका है कि अयोध्या में मंदिर और लखनऊ के शिया बहुल इलाके में मस्जिद बनवा दी जाए। हां, यह बाबर के नाम पर न हो। बाबर कभी अयोध्या नहीं आया। वह सबसे पहले हरियाणा के बाबरपुर पहुंचा था, इसलिए मस्जिद वहीं बनवाई जाए। डा वेंदाती ने विश्वास व्यक्त किया कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल में रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होगा। संत समाज चाहता है कि आपसी सुलह समझौते से विधि संगत तरीके से इस विवाद का समाधान हो ताकि देश में शांति और भाइचारा बना रहे।

If you like the article, please do share
News Desk