परमात्मा से प्रत्यक्ष संवाद का माध्यम है; प्रार्थना (Prayer)

PRAYER

जब जीवन में किसी मोड़ पर सभी रास्ते बंद नजर आते हैं तो उस वक्त सिर्फ एक ही रास्ता खुला हुआ नजर आता है जो है ईश्वर का। जब भी हमें चारों ओर घनघोर अंधेरा नजर आता है तो हमें ईश्वर की प्रार्थना (Prayer) से प्रकाश की किरण नजर आती है। सभी धर्म, संप्रदाय व पंथ यह स्वीकार करते हैं कि यह परमात्मा से प्रत्यक्ष संवाद का माध्यम है। प्रार्थना करने से मन मस्तिष्क में भरे हुए दूषित विचारों से मुक्ति मिलती है। प्रार्थना विचारों की सोच सकारात्मक बनाने के साथ-साथ कई अन्य आश्चर्यजनक परिणाम भी देती है।

praying God

महात्मा गांधी भी प्रार्थना की शक्ति का सहारा लेते थे। उन्होंने एक बार कहा भी था कि बिना प्रार्थना के तो मैं कब का पागल हो चुका होता। विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉक्टर एलेक्सिस कैरेल का कहना है- प्रार्थना इंसान द्वारा उत्पन्न की जाने वाली ऊर्जा का सबसे सशक्त रूप है। जब भी हम तनाव या चिंता में रहते हैं तो उस समय हमारी आत्मा पर एक बोझ सा बना रहता है। यह जरूरी है कि हम किसी को अपनी समस्या बता दें। यदि आप अपनी समस्या किसी को नहीं बता सकते तो ईश्वर को तो बता ही सकते हैं। ईश्वर से प्रार्थना करने का कोई समय निश्चित नहीं है। यह प्रार्थना कभी भी की जा सकती है। जरूरत है तो बस सच्चे और निष्कपट मन की|

1# बनाती है सेहतमंद

प्रार्थना हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। कई शोधों से यह स्पष्ट हुआ है कि सर्जरी के बाद होने वाले घाव को भरने के लिए प्रार्थना मरहम का काम करती है। साथ ही यह हृदय को भी मजबूत बनाती है और दिल की धड़कनों में सही कोआर्डिनेशन लाती है। प्रार्थना एक ओर जहां लोगों की इम्युनिटी बेहतर बनाने का काम करती है वहीं दूसरी और अस्थमा जैसी बीमारी में भी लाभदायक है। जो लोग प्रार्थना करने में विश्वास रखते हैं उन लोगों की उम्र भी लंबी होती है।

2# सकारात्मक ऊर्जा का संचार

benefits of prayer

सामूहिक तौर पर प्रार्थना करने से व्यक्ति के मन में एकता का भाव बढ़ता है और उसका अकेलापन दूर होता है। जब भी हमारे मन में नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं या फिर हमारा आत्मविश्वास कम होने लगता है तो उस समय हमें ईश्वर की प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए। प्रार्थना करने से हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का संचार होता है और हमारे आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होती है।  

3# भावनाओं पर नियंत्रण

प्रार्थना से न केवल एकाग्रता बढ़ती है साथ ही इससे मन में झांकने का भी मौका मिलता है। इससे हमें सही गलत की पहचान का रास्ता मिल जाता है। हर तरह की चिंता और तनाव और व्याकुलता से मुक्ति मिलती है जिससे हम अपने वर्तमान कार्य में अधिक ध्यान लगा पाते हैं। इससे हमें कार्य को सही प्रकार करने का हौसला भी मिलता है।

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4# अवसाद से मुक्ति

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Image Courtesy-google

कई शोधों में यह पता चला है कि प्रार्थना अवसाद (Depression) की स्थिति से बचाने में मदद करती है और इससे बेचैनी दूर होती है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि जो लोग नियमित रूप से प्रार्थना करते हैं उनमें अवसाद की समस्या कम होती है। वह कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से दूर रहते हैं। प्रार्थना करने से तनाव कम हो जाता है। जब हम तनाव में होते हैं तो हमारे शरीर में ऐसे हार्मोन बनते हैं जिनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी कमजोर हो जाती है। सकारात्मक सोच रखने से ऐसे हॉर्मोन हमारे शरीर में नहीं बनते।

5# ध्यान से पहले प्रार्थना

यह बात तो सभी जानते हैं कि काफी देर तक निर्विकार होकर बैठना आसान नहीं होता, पर यदि आप प्रार्थना या कोई मंत्रोच्चार मंत्रोचार करें तो यह कार्य सुविधाजनक हो जाता है। अतः ध्यान करने से पहले भी प्रार्थना की जाती है। हमारे संतो और ऋषि मुनियों ने प्रार्थनाएं इस तरह लिपिबद्ध की है एक निश्चित परिप्रेक्ष में सारे शरीर में सही ढंग से काम कर सके।

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News Desk