हेग (आईएएनएस); सोमवार को सीरिया के 16 वर्षीय मोहम्मद अल जुन्दे को अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार सीरिया में शरणार्थी बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के प्रयास के लिए दिया गया। अल जुन्दे सीरिया युद्ध के कारण पलायन कर चुके हैं और अब ये अपने परिवार के साथ मिलकर लेबनान के एक रिफ्यूजी कैंप में स्कूल चलाते हैं। इस स्कूल में लगभग 200 बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है।
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अल जुन्दे ने कहा-‘एक स्कूल सिर्फ एक ऐसी ही जगह नहीं है जहां आप पढ़ना और लिखना सीखते हैं बल्कि वह जगह है जहां आप अपने मित्र और अपने जीवन की यादें बनाते हैं। अपनी यादों के साथ-साथ नए लोगों के बारे में सीख सकते हैं और अन्य लोगों को भी अपने बारे में बता सकते हैं। स्कूल एक ऐसी जगह है जहां आप स्वयं को जैसे आप हैं वैसा बनाने की कोशिश करते हैं और यही वह जगह है जहां आप अपने आप को स्वतंत्र रूप से सामने ला सकते हैं और अपने विचारों को अपने मित्र और अपने शिक्षकों के साथ साझा कर सकते हैं’।
अल जुन्दे को यह पुरस्कार बच्चों के अधिकारों के लिए किए गए कार्य के लिए 2014 में नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई के हाथों प्राप्त हुआ, जिन्होंने 2013 में महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्य के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार जीता था। इस मौके पर मलाला ने कहा अल जुन्दे यह बात जानते हैं कि सीरिया का भविष्य बच्चों पर है और उनका भविष्य शिक्षा पर निर्भर है। तमाम मुसीबतों के बावजूद अल जुन्दे और उनका परिवार कई बच्चों को स्कूल जाने में मदद कर रहा है।
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इस समय विश्व भर में लगभग 2.8 करोड़ बच्चे विस्थापित हैं और अकेले सीरिया युद्ध से ही करीब 25 लाख बच्चे शरणार्थी जीवन व्यतीत करने में मजबूर हैं। 2005 से बच्चों के अधिकारों के लिए गठित किया गया किड्स राइट संगठन हर साल किसी बच्चे को उसके द्वारा बच्चों के अधिकारों के लिए किए गए कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित करता है ।