महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। जो भारत के साथ-साथ नेपाल में भी मनाया जाता है। इस त्यौहार का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रि में से महाशिवरात्रि का सबसे अधिक महत्व है। माना जाता है कि सृष्टि का आरंभ इसी दिन से हुआ था। इसी दिन सृष्टि का आरंभ महादेव के विशालकाय रूप से हुआ था।
शिवरात्रि (Shivratri) अर्थात भगवान शिव जी की रात्रि। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी तिथि की रात्रि को भगवान शिवजी का विवाह पार्वती जी के साथ हुआ था। यह भगवान शिवजी की आराधना की रात्रि है जो फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (चौदस) को मनाई जाती है। अन्य देवताओं का पूजन दिन में होता है तो शिवजी का पूजन रात में क्यों? यह विचार आपके मन में उत्पन्न हो सकता है।
भगवान शिव तमोगुण प्रधान संहार के देवता हैं। अतः तमोमयी रात्रि से उनका ज्यादा स्नेह है। रात्रि संहारकाल का प्रतिनिधित्व करती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में रात्रिकालीन प्रकाश का स्रोत चंद्रमा भी पूर्ण रूप से क्षीण होता है। जीवो के अंदर तामसी प्रवृतियां कृष्ण पक्ष की रात में बढ़ जाती है। जैसे पानी आने से पहले पुल बांधा जाता है उसी प्रकार चंद्र क्षय तीज आने से पहले उन तामसी प्रवृतियों के शमन (निवारण ) हेतु भगवान आशुतोष यानी कि शंकर जी की आराधना का विधान शास्त्रकारों ने बनाया| यही रहस्य है।
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संहार के पश्चात नई सृष्टि अनिवार्य है अर्थात संहार के बाद पुनः सृष्टि होती है आप देखते हैं कि फाल्गुन मास में सभी पेड़-पौधों (लगभग सभी) के पत्ते झड़ जाते हैं उसके बाद ही नहीं पत्तियां निकलती हैं। इसे सृष्टि का नया स्वरूप कहा जाता है। शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि की पूजा में 6 वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए।
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- शिव लिंग का पानी, दूध और शहद से अभिषेक करना चाहिए।
- बेर या बेल के पत्ते समर्पित करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
- सिंदूर पुण्य का प्रतीक होता है।
- दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति देता है और
- पान जोकि सांसारिक सुखों के साथ संतोष प्रदान करता है|