कैसे बनी गिलहरियों की पीठ पर तीन धारियां; Three striped squirrels

striped squirrel

गिलहरियों की पीठ पर आपने तीन धारियां ( three striped squirrels) तो देखी ही होंगी। इन धारियों के पीछे एक प्राचीन कथा है।

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रामायण काल का प्रसंग है। जब लंकापति रावण ने छदम वेश धारण कर सीता का हरण कर लिया और उसे ले जाकर लंकापुरी की अशोक वाटिका में रखा। तब सीता (Goddess Sita) को खोजते खोजते राम-लक्ष्मण की भेंट वानरराज सुग्रीव से हुई। सुग्रीव की सेना के महाबली हनुमान (Lord Hanuman) समुद्र लांघकर सीता का पता लगा कर आए।

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तब पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी (Lord Rama) वानर वीरों के सहयोग से समुद्र पर पुल बांधने लगे। सभी भालू बंदर अपनी क्षमता अनुसार छोटे-बड़े पत्थर ले आकर पुल निर्माण में सहयोग प्रदान कर रहे थे। समुद्र के किनारे एक पेड़ पर एक गिलहरी (Squirrel) रहती थी। वह भी भगवान श्री रामचंद्र जी के कार्य में हाथ बटाने आई अर्थात सहयोग करने लगी। गिलहरी समुद्र के पानी में डुबकी लगाती और अपने रोयेंदार शरीर में बालू के कण चिपका कर लाती और पुल पर जाकर अपने शरीर को जोर से हिला देती ताकि जो बालू उसके शरीर पर चिपकी है वह पुल पर गिर जाए और पुल मजबूत हो जाए।

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Image Courtesy-google

उसके कार्य को देखकर भगवान श्रीराम के हर्ष की सीमा न रही। उसके प्रेम को देखकर भी प्रेम रस के वशीभूत होकर उसे अपनी गोद में उठा लिया और प्यार से सहलाते हुए बोले- तुम नन्ही सी जान हो किंतु तुम्हारे सहयोग की भावना और मेरे प्रति तुम्हारा यह समर्पित प्रेम अतुलनीय है। अतः संसार में तुम जहां कहीं भी रहोगी लोग तुम्हें देखकर मुझे याद करेंगे। साथ ही राम की अर्थात मेरी परम भक्त मानकर तुम्हें सदैव अच्छी दृष्टि से देखेंगे और धन्य कहेंगे।

लोग कहते हैं जब भगवान श्रीराम ने उपरोक्त वचन कह कर उसकी गिलहरी को सहलाया तो उनकी उंगलियों के निशान धारियों के रूप में अंकित हो गए। तभी से सभी गिलहरी के शरीर पर ये निशान बन गए।
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News Desk