विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा, प्रेम, त्याग, आत्मविश्वास और समाज के प्रति बलिदान के लिए तथा महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए उत्सव के तौर पर अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। देश भर की महिलाएं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) देश, जात पात, भाषा, सांस्कृतिक और राजनीतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर मनाती हैं।
The theme of International Women’s Day 2018
Time is Now; Rural and Urban Activists Transforming Women’s Lives.
भारतीय परिप्रेक्ष्य में यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमंते तत्र देवता वाले भारत देश में आज नारी ने अपनी योग्यता के आधार पर अपनी श्रेष्ठता का परिचय हर क्षेत्र में अंकित किया है। आधुनिक तकनीकों को अपनाते हुए धरती से आकाश तक का सफर कुशलता से पूरा करने में संलग्न है। फिर भी मन में यह सवाल उठता है कि क्या वाकई नारी को लेडीस फर्स्ट का सम्मान यथार्थ में चरितार्थ है या महज औपचारिकता है। आज की नारी शिक्षित और आत्मनिर्भर है। प्रेमचंद युग में नारी के प्रति नई चेतना का उदय हुआ। अनेक शताब्दियों के पश्चात राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने नारी का अमूल्य महत्व पहचाना और प्रसाद जी ने उसे मातृशक्ति के आसन पर आसीन किया जो उसका प्राकृतिक अधिकार था।
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आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे है लेकिन अतीत में ऐसा नहीं था। जिस प्रकार की आजादी आज हम महिलाओं को प्राप्त देखते हैं वे पहले नहीं थी। जैसे न वे पढ़ पाती थीं और न नौकरी कर पाती थी और न ही उन्हें वोट डालने की आजादी थी।
1908 में लगभग 15000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क सिटी में वोटिंग अधिकारों की मांग के लिए, काम के घंटे कम करने के लिए और बेहतर वेतन मिलने के लिए मार्च निकाला। 1 साल बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी की घोषणा के अनुसार 1909 में यूनाइटेड स्टेट में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी को मनाया गया।1910 में Clara Zetkin (जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की महिला ऑफिस की लीडर) नामक महिला ने जर्मनी में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार रखा। उन्होंने सुझाव दिया कि महिलाओं को अपनी मांगों को आगे बढ़ने के लिए हर देश में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाना चाहिए। 1910 में ही द सोसलिस्ट इंटरनेशनल ने कोपेनहेगन में हुई एक मीटिंग में महिला दिवस की स्थापना की।
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इस दिवस की स्थापना ख़ास तौर पर महिलाओं के अधिकारों और उन्हें दुनिया भर में मताधिकार दिलाने वाले आंदोलनो का सम्मान करने के लिए की गई। मताधिकार की मांग के साथ ही सरकारी नौकरी, काम करने का अधिकार और वोकेशनल ट्रेनिंग जैसी मांग भी उठाई गई ताकि काम की जगह पर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म किया जा सके।19 मार्च 1911 को पहली बार ऑस्ट्रिया डेनमार्क जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
8 मार्च ही क्यों?
1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूस में महिलाओं ने रोटी और शांति की मांग में धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शन फरवरी महीने के आखिरी रविवार को किया गया जो जॉर्जियन कैलेंडर के हिसाब से 8 मार्च की तारीख बना। 1975 में अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के दौरान यूनाइटेड नेशंस ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को सेलिब्रेट करना शुरू किया। इस दिन का असली सार यही है कि महिलाओं को उनकी शक्ति और उनको अपने अधिकारों की सही पहचान हो।
By-
Ashish Singh Chandel
Kendriya Vidyalaya,Hardoi