New Delhi; विश्व आज वर्ल्ड TB डे मना रहा है| शनिवार को विश्व तपेदिक दिवस (World TB Day) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भयंकर बीमारी को खत्म करने के लिए देश के नागरिकों और संगठनों से निवेदन किया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत को TB मुक्त बनाने का लक्ष्य जनता के सामने रखा था। उन्होंने ट्वीट में लिखा “इस साल के विश्व TB दिवस के विषय ‘वांटेड: लीडर्स फॉर ए TB फ्री वर्ल्ड’ को ध्यान में रखते हुए मैं इस बीमारी को खत्म करने के लिए नागरिकों और संगठनों से आगे आने का आग्रह करता हूं। TB मुक्त देश मानवता की एक बड़ी सेवा है और भारत सरकार देश को TB मुक्त कराने के लिए भरसक प्रयत्न कर रही है।
क्षय रोग या टी.बी एक संक्रामक बीमारी है, जिससे प्रति वर्ष लगभग 1.5 मिलियन लोग मौत का शिकार होते हैं। पूरे भारत में यह बीमारी बहुत ही भयावह तरीके से फैली है। क्षय रोग के इस प्रकार से विस्तार पाने का सबसे बड़ा कारण है इस बीमारी के प्रति लोगों में जानकारी का अभाव। विश्व क्षय रोग दिवस पूरे विश्व में 24 मार्च को घोषित किया गया है और इसका ध्येय है लोगों को इस बीमारी के विषय में जागरूक करना और क्षय रोग की रोकथाम के लिए कदम उठाना। विश्व टीबी दिवस को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) जैसे संस्थानों से समर्थन मिलता है।
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विश्व तपेदिक दिवस लोगों को TB के प्रति जागरुक करने और वैश्विक स्तर पर इस बीमारी को खत्म करने के प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। रॉबर्ट कोच ने 24 मार्च 1882 को टीबी के जीवाणु की खोज करने की घोषणा की थी जिससे इस बीमारी का इलाज ढूंढने में मदद मिली इसलिए प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व TB दिवस मनाया जाता है।
टीबी अर्थात ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis) एक संक्रामक रोग होता है, जो बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। हालांकि ये ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। मगर इसके अलावा आंतों, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय भी टीबी से ग्रसित हो सकते हैं। क्षयरोग को कई नामों से जाना जाता है जैसे टी.बी. तपेदिक, ट्यूबरकुलासिस, राजयक्ष्मा, दण्डाणु इत्यादि नामों से जाना जाता है। टी.बी से ग्रसित व्यक्ति बहुत कमजोर हो जाता है और इसके साथ ही उसे कई गंभीर बीमारियां होने का डर भी रहता है। टी.बी. एड्स, मधुमेह और कमजोर लोगों को अधिक होता है। क्षयरोग सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करते हैं।