सोने, चांदी एवं कीमती आभूषणों से देवी देवता प्रसन्न नहीं होते। उनकी इच्छा मात्र से ही सोने-चांदी के ढेर लग जाते हैं। वे स्वयं जिस वस्तु के भंडार हैं, उस वस्तु से उन्हें क्या प्रसन्नता होगी। सामान्य सी भाषा में आपके पास स्कूटर है और कोई आपको एक दूसरा स्कूटर दे दें, तो आप प्रसन्न होंगे भी तो बहुत कम लेकिन कोई कार दे तो आपकी प्रसन्नता की सीमा नहीं रहेगी। यही बात यहां लागू होती है। पूजा पाठ में पुष्प चढाने से (Offering Flowers to God) देवता प्रसन्न होते हैं|
Flowers are an important part of Hindu worship.
धार्मिक कार्य में देवी देवताओं का पूजन होता है। देवी- देवता श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के भूखे होते हैं। सोना चांदी अमीर लोग देवताओं के चरणों में चढ़ा सकते हैं किंतु गरीब लोग, जिनकी सामर्थ्य नहीं है वे कहां से लाकर सोना, चांदी या आभूषण चढ़ाएंगे। देवी देवताओं की दृष्टि में अमीर-गरीब, ऊँच-नीच सभी एक समान है और पुष्प अर्थात फूल से हर कोई पूजा कर सकता है जो आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
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पुष्पों की मीठी सुगंध से त्रस्त होकर देवता प्रसन्न होते हैं। धार्मिक कार्य में देवी देवताओं पर पुष्प चढ़ाने की क्रिया को पुष्पांजलि (Pushpanjali) कहा जाता है। फूलों को सुंदर और शुद्ध माना गया है इसी कारण हम इन्हें भगवान को समर्पित करते हैं। फूल शुभदायक तो है ही साथ ही पुष्प को पुण्य बढ़ाने वाला, पापों को भगाने वाला और श्रेष्ठ फल प्रदान करने वाला होता है।
यह माना जाता है कि अलग-अलग देवताओं को अलग-अलग प्रकार के पुष्प पसंद होते हैं जैसे सफेद रंग के पुष्प जैसे धतूरा भगवान शिव को, गुड़हल का फूल मां दुर्गा को, तुलसी का फूल भगवान गणेश को और पीले रंग का पुष्प विष्णु भगवान को प्रिय होता है।
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पुष्प हमारे जीवन में सुंदरता, उल्लास और प्रसन्नता का प्रतीक माना जाता है। जिस प्रकार फूल खिलकर अपनी प्रसन्नता प्रकट करता है उसी प्रकार मनुष्य को सदैव प्रसन्न रहना चाहिए। यही पुष्प का संदेश है। खिला हुआ पुष्प मनुष्य, देवता आदि सभी को प्रसन्नता प्रदान करता है इसलिए सभी शुभ कार्य में पुष्पों का अधिक महत्व होता है।