इंटरनेट​ ​ऑफ​ ​थिंग्स (Internet of things) से जुड़कर बनाये बेहतर डिजिटल इंडिया

डिजिटल इंडिया का उद्देश्य, डिजिटल हो पूरा देश ।

समय के साथ टेक्नोलॉजी पर बढ़ती हमारी निर्भरता ने पिछले लगभग तीन दशकों मे नई उंचाइयां छुई हैं। इंटरनेट की सामान्य लोगों तक पहुँच क बाद तो यह और तेज़ी से बढ़ी है। आज की बात करें तो Artificial Intelligence, Data Analytics (एनालिटिक्स), Big data (बिग डाटा), Internet of things (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), Digital Marketing (डिजिटल मार्केटिंग) आदि टेक्नोलॉजी जगत मे चर्चा का विषय बने हुए है।


digital india program logo news123 इंटरनेट​ ​ऑफ​ ​थिंग्स  Digital India is a campaign launched by the Government of India to ensure that Government services are made available to citizens electronically by improved online infrastructure and by increasing Internet connectivity or by making the country digitally empowered in the field of technology [Read more : #Wikipedia]


» क्या​ ​है​ ​इंटरनेट​ ​ऑफ​ ​थिंग्स?

इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of things) का शाब्दिक मतलब देखें तो यह वस्तुओं का एक जाल या नेटवर्क (Network) है पर इस नेटवर्क मे जुड़ने वाली वस्तुओं की कुछ शर्तें हैं – उनमें कुछ नापने की क्षमता और उस नापी गई जानकारी को संचारित करने की क्षमता होनी चाहिए। इसका मतलब उन वस्तुओं मे सेन्सर (sensor) और ट्रांसमीटर (transmitter) लगे होने चाहिए। यह ज़रूरी भी है क्योंकि समझने कर लिए अगर हम अपने मोबाइल नेटवर्क का उदाहरण लें तो हम जानते हैं कि हमारी आवाज़ इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स (electrical signals) मे बदलकर अदृश्य इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (electromagnetic) किरणों के रूप मे हमारे फोन से संचारित होकर पास के मोबाइल टावर तक जाती है, जहां से वे सिग्नल्स दूसरे मनुष्य के नज़दीकी टावर तक भेजे जाते हैं और वहां से अंततः संबंधित मनुष्य के फोन तक।

​​​इंटरनेट​​ ​​ऑफ​​ ​​थिंग्स (Internet of things) या IoT भी उसी तरह का एक network है, पर इसका दायर कहीं ज़्यादा बड़ा है । इसमे न सिर्फ मोबाइल  फ़ोन या कंप्यूटर जुड़े हैं, बल्कि हर वो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसे इन्टरनेट से जोड़ा जा सकता है। अगर हम चाहें की जिस तरह हम अपने फोन से दूसरे फोन पे मेसज भेजते हैं वैसे ही अपने fridge, AC, light आदि को भी दूर से बैठे-बैठे नियन्त्रित कर लें तो हमे उन्हें इन्टरनेट से जोड़ना होगा। इंटरनेट से जुड़ने वाली हर चीज़ का एक ईप एड्रेस (IP Address) होता है, जो उसकी खास पहचान होती है और यह हर एक के लिए यूनिक नंबर होता है । एक ईप एड्रेस ​(IP​ ​Address) एक ही वस्तु से जुड़ा हुआ होता है जिससे हम इस इन्टरनेट मे उसे खोज सकते हैं।

जरा सोचिए जब यह सब संभव हो जाएगा तब यह दुनिया मे कितना बड़ा बदलाव लाकर रख देगा। हम रास्ते मे अपनी कार मे बैठे-बैठे घर मे लगे AC को ऑन कर सकते हैं ताकि घर मे घुसते ही हमे मनचाहा तापमान मिले, कार को लॉक करने भूल जाएं तो फोन पर सिर्फ एक क्लिक से उसे दूर से ही लॉक कर दें, कहीं कोई दुर्घटना होने पर वहां लगा ट्रॅफिक पोस्ट ही इसकी जानकारी पास की किसी एम्बुलैंस को दे दे और वहां पर फौरन मदद पहुचाई जा सके य फिर आपके हाथ मे पहनी हुई घड़ी आपका blood pressure, heart beat आदि नापती रहे और किसी भी असाधारण नाप की जानकारी आपके डायल पे मेसज के रूप मे आप तक तुरंत पहुचा दे।

» कैसे काम करता है ये ​​​इंटरनेट​​ ​​ऑफ​​ ​​थिंग्स​?

वस्तुओं पर लगे sensors  जो भी जानकारी नापते हैं,  उसे वे internet  के द्वारा दूर दूर रखें डाटा सेंटर तक पहुंचाते है।  क्योंकि इस्तेमाल करने वाले यूजर्स की संख्या बहुत अधिक होती है इसलिए डाटा सेंटर तक आने वाले डाटा की मात्रा भी बहुत ज्यादा होती है।  इस विशालकाय डाटा को हम किसी साधारण टेक्नोलॉजी से नहीं प्रबंधित कर सकते।  यही से Big Data टेक्नोलॉजी का काम शुरू होता है। विशाल असंसाधित (unprocessed) डाटा हमारे लिए पूरी तरह से बेकार है जबतक उसे संसाधित करके उससे हम अपनी जरूरत के अनुसार कोई जानकारी ना निकाल लें। यहां पर हमारी मदद करती है data science की वह शाखा जिसे हम Analytics कहते हैं।

Courtesy: #Youtube

Analytics मे हम unprocessed data पर अपनी ज़रूरत के हिसाब से algorithms या processing codes चलाते हैं जिससे हमे बेहद ज़रूरी जानकारी मिल पाती है। यही जानकारी तकनीक से जुड़े हमारे अगले आविष्कारों या बदलावों की नीव रखती है। Internet के द्वारा जुड़ी हुई वस्तुएं ना सिर्फ data भेज सकती हैं, बल्कि वे एक दूसरी वस्तुओं से संपर्क भी कर सकती हैं बिल्कुल उस तरह जैसे हम एक फोन से दूसरे फोन पे मेसेज भेज पाते हैं। इतना ही नही, हमारे द्वारा वे एक दूसरे को दूर से ही नियंत्रित भी कर सकते हैं। यह सच मे असीमित संभावनाओं को जन्म देता है।

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​​​» इंटरनेट​​ ​​ऑफ​​ ​​थिंग्स​ का उपयोग:

IOT का उपयोग हर वह मनुष्य करेगा जो किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग करता है। इसलिए IOT के इस्तेमाल से आने वाले सालों मे शायद ही कोई अछूता रह जाए। Market की consumer पर बढ़ती निर्भरता के कारण विभिन्न कंपनियां इसमे खासी दिलचस्पी दिखा रही हैं। न सिर्फ ऐसे smart devices को लेना लोग पसन्द कर रहे हैं, बल्कि उन devices के द्वारा इकट्ठा की ज रही जानकारी कंपनियों के लोए काफी कीमती है क्योंकि इसी जानकारी के आधार पर वे अपने उत्पादों मे बदलाव लाती हैं या नए उत्पाद बनाती हैं।

स्वास्थ्य:

हाथ मे पहने जाने वाले health monitoring gadgets तो अपने देखे ही होंगे। अपने फोन से इन्हें जोड़कर हम न सिर्फ अपने शरीर मे हो रही अहम गतिविधियों पर लगातार नज़र बनाए रख सकते हैं, बल्कि अपने खानपान, कसरत आदि की जानकारी होने से उन्हें नियंत्रित कर सकते हैं। ऐसे लोग जिन्हें ज़रा किसी भी असामान्य गतिविधि पर तुरंत डॉक्टरी मदद की ज़रूरत होती है, उनके लिए यह बेहद उपयोगी है।

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यातायात:

IoT का एक एहम हिस्सा है यातायात। बढ़ता हुआ ट्रैफिक, दुर्घटनाएं, पार्किंग की समस्या, सबसे सही रास्ते की पहचान, आदि यातायात से जुड़ी कुछ प्रमुख दिक्कतें हैं। हमारे साधनों मे और सड़क के किनारे खंभों पर लगे sensors जो जानकारी इकट्ठा करेंगे, वह data centers मे process होकर हमे मेसेज या app से हम तक पहुचाई जाएगी, जिससे हम इस सभी दिक्कतों से बेहतर तरीके से निपट सजते हैं।

दैनिक उपयोग:

हम अपने अस पास के उपकरणों को देखें और कल्पना करें की उनको नियंत्रित करने वाले सभी बटन हमे हर समय अपने फोन या कंप्यूटर पर मिलें तो न सर्फ यह हमारी जीवनशैली को आसान बनाएगा, बल्कि बिजली की कितनी बचत करेगा।

नुकसान:

IOT के उपयोगों की बात करने पर यह जितना सुंदर लगता है, अगर इससे जुड़े खतरों की बात करें, तो यह उतना ही डरावना भी है। सबसे बाद खतरा है सुरक्षा। जिस तरह इंटरनेट पर लोगों क accounts हैक होना अम बात है, वैसे ही अगर उपयुक्त प्रबंध न किया गया, तो इंटरनेट से जुड़े उपकरणों को भी हैक करना कोई बड़ी बात नही होगी। कल्पना कीजिए की आप अपनी चार चला रहे हैं जो की एक IOT device है ओर इंटरनेट से जुड़ कर वह आपको traffic और रास्ते से जुड़ी अहम जानकारी दे रही है। पर अगर कोई हैकेर वह कार हैक करने मे सफल हो जाता है, तो शायद वह आपकी कार पर पूरा नियंत्रण पा ले जो की भत खतरनाक हो सकता है। एक ओर उदाहरण देखते हैं- internet का धीमा कनेक्शन होना आज कल आम बात है। अगर कोई system real-time जानकारी का इस्तेमाल करता है तो वह कनेक्शन धीमा या न होने के कारण पूरी तरह से ठप हो सकता है। जैसे की हमारी automatic car जो कि sensors के द्वारा भेजी गई जानकारी के आधार पर सड़क पर चलती है ओर अस पास की गाड़ियों की जगह, स्पीड आदि की जानकारी भी रखती है, इंटरनेट की गति पर निर्भर करेगी, वह धीमे कनेक्शन की वजह से बिल्कुल भी विश्वसनीय नही रेह जाएगी, बल्कि यह खतरनाक भी हो सकता है|

» निष्कर्ष

IoT एक अविश्वसनीय टेक्नोलॉजी है जो की अब न सिर्फ संभव है बल्कि यह आकार भी लेने लगी है। Gartner, Inc. का अनुमान है कि 8.4 billion विश्व भर मे 2017 तक 8.4 billion ‘जुड़ी हुई वस्तुएँ’ हो जाएंगी जो कि 2016 की तुलना मे 31% अधिक होगा ओर 2020 तक तो यह आँकड़ा 20.4 billion तक पहुच जाएगा। मतलब साफ है, IoT अगली पीढ़ी की वह तकनीक है जिसे नज़रअंदाज़ नही किया जा सकता पर उससे पहले यह ज़रूरी है की हम इससे जुड़ें खतरों को पहचानें और उनका ठीक तरह से निस्तारण करें।

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News Desk