हिंदू धर्म में नारियल का बहुत अधिक महत्व है। देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए लोग नारियल को चढ़ाते ( Offering Coconut to God) हैं। नारियल को चढ़ाने के कई कारण ( Reason of Offering Coconut to God) हैं। एक तो प्रसाद रूप में नारियल से शुद्ध अन्य कोई प्रसाद नहीं होता क्योंकि इसका ऊपरी आवरण कठोर और बंद होता है तथा अंदर स्वच्छ एवं शुद्ध जल भरा होता है।
शुद्धता का प्रतीक
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जल के स्पर्श से वस्तुएं शुद्ध होती हैं जिससे नारियल की गिरी पूर्णतः शुद्ध होती है। दूसरी बात कि खुले प्रसाद दूषित हो सकते हैं किंतु नारियल का प्रसाद प्रदूषित नहीं होता कारण स्पष्ट है। नारियल को शुभ, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।
शुभत्व की प्राप्ति
प्रत्येक शुभ कार्य, विवाह लग्न, किसी को भेंट देते समय, कलश स्थापना के समय, घर की नींव डालते समय आदि अन्य शुभ अवसरों पर नारियल रखा जाता है। कुछ लोग नारियल को भगवान शिव का स्वरूप मानते हैं क्योंकि इसमें तीन आंखें बनी होती है। जिसे त्रिनेत्र मानते हैं।
बलि कर्म का प्रतीक
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विद्वानों के अनुसार नारियल का फल बलि कर्म का प्रतीक है। देवी देवताओं के समक्ष नारियल का फल तोड़ना बलि देने जैसा माना गया है। इस क्रिया के द्वारा हम भगवान के द्वारा दी गई कृपा के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। नारियल कुछ-कुछ तरह से मनुष्य के मस्तिष्क के जैसा होता है। इसकी जटा की तुलना मनुष्य के बालों से, नारियल पानी की तुलना मनुष्य के खून से और कठोर कवच की तुलना मनुष्य की खोपड़ी से की जा सकती है।
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सद्ज्ञान
नारियल से शिक्षा भी मिलती है। हर व्यक्ति को नारियल से शिक्षा लेनी चाहिए जिस तरह नारियल ऊपर से अत्यंत कठोर किंतु अंदर से कोमल होता है। उसी तरह हर इंसान को होना चाहिए। ऊपर से भले ही कठोरता का आवरण धारण किए रहो किंतु इंसानियत का त्याग मत करो अर्थात नारियल की भांति अंदर से नरम और दयालु हृदय बने रहो। तो नारियल की तरह तुम्हें भी लोग पूजनीय समझेंगे।