भारतीय संस्कृति-डाला छठ या छठ पूजा का महत्व

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नई दिल्ली:उत्तरी भारत में अभी त्योहारों की छटा खत्म नहीं हुई है।अभी छठ पूजा की सुबह का नजारा तो देखना बाकी है। इस पर्व में भगवान सूर्य और उनकी पत्नी उषा जिन्हें छठ मैया भी कहा जाता है की पूजा की जाती है।इस पूजा में सूर्य देव और उनकी पत्नी को धन्यवाद दिया जाता है क्योंकि सूर्य भगवान व उनकी पत्नी अच्छा स्वास्थ्य और खुशी प्रदान करने वाले हैं। यह पर्व  हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के छठे दिन मनाया जाता है।

छट के गीत

इस साल यह पर्व 24 अक्टूबर से शुरु होकर 27 अक्टूबर तक चलेगा जिसकी मुख्य पूजा 26 अक्टूबर को होगी। 25 अक्टूबर को 9:37  से रात 12:15 तक षष्ठी  तिथि रहेगी। छठ की मुख्य पूजा 26 अक्टूबर के दिन सूर्योदय सुबह 6:45 पर होगा और सूर्यास्त शाम को 6:05 पर होगा।

इस पूजा के इतिहास के बारे में बात करें तो रामायण और महाभारत दोनों ही ग्रंथों में इसकी अलग-अलग धारणाएं हैं। ऐसा माना जाता है कि द्रोपदी ने साध्वी धौम्य के कहने पर पांडवों के साथ मिलकर यह पूजा की थी।जब द्रोपदी ने सूर्यदेव की पूजा की तो उन्होंने देखा कि उनकी सारी परेशानियां खत्म होती जा रही हैं और पांडवों को अपना राज्य वापस मिल रहा है। दूसरी मान्यता यह है कि जब सीता मैया भगवान राम के साथ अयोध्या वापस आ रही थी तब उन्होंने सूर्य भगवान के लिए व्रत रखा और उनसे प्रार्थना की थी। इसी कारण छठ पूजा मनाई जाती है

छठ पूजा उत्तर प्रदेश और बिहार का मुख्य त्यौहार है। यहां पर बहुत यह पर्व बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।कई लोग बिहार और उत्तर प्रदेश से निकलकर राजधानी दिल्ली की तरफ मुड़ गए हैं इसलिए दिल्ली में भी यह त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाने लगा है।

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News Desk