Ayodhya Case : वकील जफरयाब जिलानी ने कहा था कि ‘हमें यह मानने में कोई ऐतराज नहीं कि राम चबूतरा श्रीराम का जन्मस्थान है, क्योंकि ऐसा तीन कोर्ट ने माना है. जफरयाब जिलानी ने ‘आइने अकबरी’ का जिक्र करते हुए कहा था कि ये पुस्तक सभी वर्गों में लोकप्रिय थी. बावजूद इसके आइने अकबरी में भी ‘जन्मस्थान’ का कहीं जिक्र नहीं मिलता.
नई दिल्ली : अयोध्या मामले (Ayodhya Case) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 31वें दिन की सुनवाई आज होगी. मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने माना था कि ‘राम चबूतरा’ भगवान श्रीराम का जन्मस्थान है. वकील जफरयाब जिलानी ने कहा था कि ‘हमें यह मानने में कोई ऐतराज नहीं कि राम चबूतरा श्रीराम का जन्मस्थान है, क्योंकि ऐसा तीन कोर्ट ने माना है. जफरयाब जिलानी ने ‘आइने अकबरी’ का जिक्र करते हुए कहा था कि ये पुस्तक सभी वर्गों में लोकप्रिय थी. बावजूद इसके आइने अकबरी में भी ‘जन्मस्थान’ का कहीं जिक्र नहीं मिलता. जिलानी ने कहा था कि रामायण और रामचरितमानस में राम जन्मस्थान का ज़िक्र नहीं है. दरअसल, राजीव धवन के बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से ज़फरयाब जिलानी ने दलील रखते हुए कहा था कि कि हिंदू पक्ष के जन्मस्थान के दावे के खिलाफ वो वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस को आधार बनाकर बहस करेंगे.
इससे पहले राजीव धवन ने कहा था कि गोपाल सिंह विशारद की याचिका में भी भगवान राम जन्मस्थान के बारे में नहीं बताया गया. मस्जिद के बीच के गुंबद के नीचे जन्मस्थान होने का दावा किया गया और पूजा के अधिकार की मांग की गई. धवन ने कहा था कि जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने माना था कि राम चबूतरे पर पूजा की जाती थी. धवन ने HC के एक जज के ऑब्जर्वेशन का विरोध किया जिन्होंने कहा था कि मुस्लिम वहां पर अपना कब्जा साबित नहीं कर पाए थे. धवन ने कहा कि हम इसका विरोध करते हैं, हमारा वहां पर कब्ज़ा था.
धवन ने हिन्दू पक्ष के गवाह की गवाही पढ़ते हुए कहा था कि चरण मित्रण सिर्फ राम चबूतरे पर करते थे और लोग राम चबूतरे के पास लगी रैलिंग की तरफ भी जाते थे, मूर्ति गर्भ गृह में कैसे गई इस बारे में उसको जानकारी नही है. धवन ने कहा था कि 1949 में पता चला कि गर्भ गृह में भगवान का अवतरण हुआ है, लेकिन उससे पहले वहां मूर्ति नहीं थी. धवन ने कहा कि पौराणिक विश्वास के अनुसार पूरे अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता रहा है लेकिन इसके बारे में कोई एक खास जगह नहीं बताई गई है. इसके साथ ही अयोध्या मामले में राजीव धवन ने अपनी बहस पूरी की. वकील राजीव धवन ने कहा था कि गर्भगृह में कभी पूजा नहीं हुई. 1949 में गलत तरीके से बीच वाले गुम्बद के नीचे मूर्ति रखी गई.