अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट में 22वें दिन की सुनवाई आज; मुस्लिम पक्ष की ओर से जारी है बहस

Ayodhya case: 22nd day hearing in Supreme Court today; Debate continues from Muslim side

Ayodhya Case : बुधवार को मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने पक्ष रखा था. धवन ने हिंदू पक्ष के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि क्या रामलला विराजमान (Ram Lalla Virajman) कह सकते हैं कि उस जमीन पर मालिकाना हक़ उनका है? नहीं, उनका मालिकाना हक़ कभी नहीं रहा है.

नई दिल्‍ली : अयोध्या मामले (Ayodhya Case) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 22वें दिन की सुनवाई आज होगी. बुधवार को मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने पक्ष रखा था. धवन ने हिंदू पक्ष के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि क्या रामलला विराजमान (Ram Lalla Virajman) कह सकते हैं कि उस जमीन पर मालिकाना हक़ उनका है? नहीं, उनका मालिकाना हक़ कभी नहीं रहा है. राजीव धवन ने कहा कि दिसंबर 1949 में गैरकानूनी तरीके से इमारत में मूर्ति रखी गई. इसे जारी नहीं रखा जा सकता.

राजीव धवन ने निर्मोही अखाड़ा की याचिका के दावे का विरोध करते हुए कहा था कि विवादित जमीन पर निर्मोही अखाड़े का दावा नहीं बनता, क्योंकि विवादित जमीन पर नियंत्रण को लेकर दायर उनका मुकदमा, सिविल सूट दायर करने की समय सीमा (लॉ ऑफ लिमिटेशन) के बाद दायर किया गया था. धवन ने दलील दी थी कि 22-23 दिसंबर 1949 को विवादित जमीन पर रामलला की मूर्ति रखे जाने के करीब दस साल बाद 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने सिविल सूट दायर किया था, जबकि सिविल सूट दायर करने की समय सीमा 6 साल थी.

गौरतलब है कि निर्मोही अखाड़ा दलील दी थी कि उनके सिविल सूट के मामले में लॉ ऑफ लिमिटेशन का उल्लंघन नहीं हुआ है, क्योंकि 1949 में तत्कालीन मजिस्ट्रेट ने सीआरपीसी की धारा 145 के तहत विवाद जमीन को अटैच (प्रशासनिक कब्जे में) कर दिया था और उसके बाद मजिस्ट्रेट ने उस विवादित जमीन को लेकर कोई आदेश पारित नहीं किया. निर्मोही अखाड़ा ने दलील दी थी कि जब तक मजिस्ट्रेट ने आखिरी आदेश पारित नहीं किया. लॉ ऑफ लिमिटेशन वाली 6 साल की सीमा लागू नहीं होती.

Source : Zee News

If you like the article, please do share
News Desk