हम अक्सर ऐसे लोगों से मिलते रहते हैं जो स्वयं को अन्य लोगों की अपेक्षा कमजोर समझते हैं। ऐसे लोग अपने गुणो पर ध्यान न देकर अपनी कमजोरियों को अधिक महत्व देते हैं। उन्हें अपने भीतर केवल कमियां ही कमियां नजर आती हैं। अच्छे गुण होने के बावजूद ये लोग उन्हें पहचानने में असमर्थ होते हैं। यही कारण है कि ऐसे लोग हीन भावना (Inferiority Complex) के शिकार हो जाते हैं। इसके विपरीत कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझने लगते हैं। उन्हें अपने आगे कोई अच्छा दिखाई नहीं देता और इस प्रकार के लोग अपनी कमियां छुपाने में लगे रहते हैं। ये लोग अपने हुनर को बढ़ा चढ़ाकर लोगों के सामने पेश करते हैं।
यह दोनों ही स्थितियां हीन भावना को जन्म देती हैं। जिस से इंसान कमजोर बनता है। इसके चलते व्यक्ति की पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों ही लाइफ प्रभावित होती हैं। यदि हीन भावना को समय से पहचान कर उसे दूर न किया गया तो व्यक्ति डिप्रेशन (Depression) का भी शिकार हो जाता है। इसके चलते उन्हें कई मानसिक बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि इसे कैसे दूर किया जा सकता है-
1. हीनभावना के कारण
हीन भावना से पीड़ित व्यक्ति की यह समस्या अचानक उत्पन्न नहीं होती बल्कि इसकी शुरुआत कहीं न कहीं हमारे बचपन से ही हो जाती है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि छोटी-छोटी गलतियों के लिए बच्चों को कई बार रोका और टोका जाता है और बातचीत में सामान्य तौर पर उन्हें नकारात्मक रूप दिखाया जाता है। कई बार तो बच्चों को डांटते वक्त उनकी तुलना अन्य बच्चों से करके उन्हें नीचा भी दिखाया जाता है। इन्हीं कारणों के कारण बच्चों में हीन भावना उत्पन्न हो जाती है जो लगातार उनकी उम्र के साथ बढ़ती जाती है।
यदि किसी कारणवश माता-पिता हीन भावना से ग्रस्त हो तो इसका प्रभाव उनके बच्चों में आवश्यक रूप से देखा गया है। उनके बच्चे भी स्वाभाविक रूप से अपने माता-पिता की तरह ही सोचने लगते हैं। यदि किसी के जीवन में असफलता, दुर्घटना अथवा अपमानजनक व्यवहार पाया जाता है तो ऐसे लोग भी हीन भावना के शिकार हो जाते हैं।
2. हीन भावना के लक्षण
हीन भावना से ग्रसित व्यक्ति में पूर्ण रुप से आत्मविश्वास में कमी देखी जाती है। आत्मविश्वास में कमी हीन भावना का मुख्य लक्षण होता है। ऐसे व्यक्ति निर्णय लेने में असमर्थ हो जाते हैं और किसी भी नए काम की शुरुआत से पहले ही उन्हें असफलता या किसी बुरी घटना के होने की चिंता सताने लगती है। इस प्रकार के लोगों में किसी अन्य लोगों से मिलने पर पूर्ण रुप से खुलकर बोलने में संकोच देखा गया है। कई व्यक्ति तो अपने व्यक्तित्व को लेकर नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण भी हीन भावना के शिकार हो जाते हैं। यह नकारात्मकता भी हीन भावना का लक्षण है और ऐसे लोग अपने रंग रूप, बोलचाल, कद-काठी और अपने कपड़ों से हमेशा असंतुष्ट रहते हैं।
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3. हीन भावना से बचने के उपाय
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- अपनी कमियों अथवा बुराइयों के बारे में अत्यधिक नहीं सोचना चाहिए। इससे आत्मविश्वास कमजोर होता है।
- अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए या सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न करने के लिए अपने बैठने के स्थान पर अथवा स्टडी टेबल के पास या बेडरूम में कुछ ऐसे पोस्टर या ऐसी किताबें रखें जिनमें उत्प्रेरक या प्रेरणादायक बातें लिखी हो। आप किसी महापुरुष की तस्वीर भी अपने कमरे में लगा सकते हैं।
- अपने कमरे में अपनी कोई ऐसी तस्वीर लगाएं जो आपको बहुत पसंद हो।
- अपनी खूबियों को पहचान कर उसमें प्रवीणता हासिल करने की कोशिश करें। लोगों से दोस्ती बढ़ाएं और सकारात्मक बातें करें।
- हमेशा दूसरों की कमियां निकालने वाले लोगों से दूर रहें।
- स्वयं का सम्मान करना सीखें जब स्वयं आप अपना सम्मान करेंगे तभी लोग भी आपका सम्मान करेंगे।
- जब आपसे कोई अच्छा काम हो तो आप स्वयं को शाबाशी दे। साथ ही कोई तोहफा भी खरीदे। इससे आपका आत्मविश्वास और मजबूत होगा।