धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शराब पीना क्यों उचित नहीं है

alcoholism

वैसे तो जो शराब (Alcohol) पीता है वह भी जानता है और जो नहीं पीता है वह भी जानता है कि शराब पीना अच्छी आदत नहीं है। शराब पीने वाला अपने धन की बर्बादी तो करता ही है, साथ ही साथ समय भी नष्ट करता है और इसके अतिरिक्त वह समाज में भी अपमानित होता है, फिर ऐसी शराब का उपयोग करने से क्या फायदा जो हर तरह से नुकसानदेह ही है।

It is not right to drink Alcohol

शराब का वास्तविक अर्थ

शराब के तीन अक्षर तीन विशेष बातों की शिक्षा देते हैं

शराब=श+रा+ब

श- शैतान 

रा-रावण

ब-बदनसीब

शराब शब्द का पहला वर्ण ‘श’ शैतान से लिया गया है अर्थात इंसान शराब पीने से इंसान होते हुए भी शैतान बन जाता है। उसे अपने और पराए का ध्यान नहीं रहता। ‘रा’ अर्थात रावण– रावण जिसने अपना और अपने समुचे परिवार सहित वंश का नाश कर डाला। शराब पीने से रावणी बुद्धि का उदय होता है और वह अपने धन सहित परिवार का अपने हाथों नाश करता है। मान लीजिये आपके परिवार में कोई बीमार है और आप शराब पीकर नशे में पड़े हैं। उस समय अगर कोई आपसे आकर कहता है कि आपका बेटा बीमार है। उसे इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाओ। आप स्वयं उठने लायक नहीं हैं तो बेटे को दवा इलाज के लिए कैसे ले जाएंगे और हो सकता है आपका बेटा इलाज न होने के कारण मर भी जाए और यही से लागू होता है शराब के तीसरे अक्षर ‘ब’ का अर्थ बदनसीब। तब जब आप होश में आएंगे तो अपनी बदनसीबी को कोसेंगे और शराब को गाली देंगे अगर मैं शराब न पीता तो मेरा बेटा न मरता लेकिन इसमें शराब का क्या दोष| शराब ने समझाया है कि मैं पहले स्टेज में लोगों को शैतान बनाती हूं। दूसरे स्टेज में रावण और तीसरे स्टेज में बदनसीब बनाकर छोड़ देती हूं।

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इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शराब पीना उचित नहीं है। इससे (Alcohol) मन सत्य और धर्म से विचलित होता है और असत्य,हिंसा और अधर्म की ओर बढ़ता है जोकि धर्म के बिल्कुल विपरीत है। झूठ, हिंसा, अधर्म, कुकर्म अपराध के  आधार हैं। जिससे इंसान सुख चैन खोकर बदनसीबी की ओर बढ़ता जाता है।

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News Desk