नई दिल्ली(New Delhi): ऐतिहासिक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के तकरीबन सात साल बाद सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने केन्द्र में लोकपाल नियुक्त करने की अपनी मांग को लेकर अनिश्चतकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है.
अन्ना ने कहा कि अंग्रेज चले गए पर लोकतंत्र नहीं मिला है और गोरे गए काले आ गए. किसानों के प्रश्न पर करेंगे या मरेंगे. 80 साल की उम्र में मैं समाज और देश के लिए जान दे दूंगा तो कोई ग़म नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सरकार हिल रही है और मंत्री कह रहे हैं कि हम ये काम करते हैं पर मैंने कहा कि मुझे इनके शब्दों पर यक़ीन नहीं है.
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गुरुवार रात को भी केंद्रीय कृषि मंत्री आए थे. उन्होंने कहा कि वो कृषि मूल्य आयोग बनाएंगे मैंने बोला मुझे नहीं है और किसानों को बताओ. ज़ुबानी आश्वासन नहीं ठोस कदम उठाओ. अन्ना ने कहा कि सरकार बुलाएगी तो अपने लोगों को भेजूंगा पर मेरा अनशन चलता रहेगा. हमारे आंदोलनकारियों की बस रोक रहे हैं क्या यही लोकतंत्र है?
अन्ना रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं जहां वह 2011 में भी बैठे थे. बहरहाल, उम्मीद की जा रही है कि इस बार उनके हमले के केन्द्र में मोदी सरकार होगी. हजारे कृषि पर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के अलावा केन्द्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की मांग पर जोर दे रहे हैं.