मानसिक तनाव कब डिप्रेशन तक पहुंच जाता है, यह हम समझ ही नहीं पाते। छोटी-छोटी बातों को लेकर चिंतित रहना और उन पर नकारात्मक सोच रखना, डिप्रेशन को जन्म देता है। यह तीन प्रकार का होता है-
1# Mild Depression (डिप्रेशन)-
इस प्रकार के डिप्रेशन में लोग अपने रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ बदलाव महसूस करते हैं।
2# Moderate Depression (डिप्रेशन)-
इस प्रकार के अवसाद में लोग कुछ महत्वपूर्ण बदलाव महसूस करते हैं। जैसे- लो फील करना और लोगों से दूरी बनाए रखना।
3# Severe Depression (डिप्रेशन)-
इस स्थिति में व्यक्ति रोजमर्रा का जीवन जीने में असंभव महसूस करने लगता है।
यदि आप बहुत लंबे समय से खुद को दुखी महसूस करते हैं, तब यह स्थिति डिप्रेशन कहलाती है। भारत में 100 में से 17 लोग अपने जीवन को उद्देश्यहीन मानकर डिप्रेशन में चले जाते हैं और आत्महत्या जैसे विचारों से घिर जाते हैं। अधिकांश लोग तो डिप्रेशन की बीमारी को समय रहते पहचान ही नहीं पाते और यह मानसिक तनाव उन्हें आत्महत्या तक पहुंचा देता है।
यह एक ऐसी बीमारी बन चुकी है जो विश्व भर में बहुत तेजी से फैल रही है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) के अनुसार यदि इस बीमारी पर तत्परता से कुछ कदम न उठाए गए तो 2030 तक यह बीमारी एक महामारी की तरह फैल जाएगी।
WHO – The World Health Organization is a specialized agency of the United Nations that is concerned with international public health. It was established on 22 July 1946 headquartered in Geneva, Switzerland.Wikipedia
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कई लोगों के अनुसार डिप्रेशन एक तरह का दुख भरा अनुभव होता है किंतु ऐसा नहीं है। दुखी होना एक भाव है जो व्यक्तियों को सामान्य रूप से किसी दुखद घटना के होने पर महसूस होता है किंतु डिप्रेशन एक ऐसी फीलिंग है जो लगातार बनी रहती है और जिस से नकारात्मक सोच उत्पन्न होती है जिसके चलते व्यक्ति निराशावादी बन जाता है। ऐसी अवस्था में वह व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से बातचीत करना भी उचित नहीं समझता यह एक मुश्किल कार्य है कि किसी व्यक्ति में समय रहते डिप्रेशन का पता लगाया जा सके और व्यक्ति को उस डिप्रेशन से बाहर निकाला जा सके।
Symptoms-
कुछ ऐसे लक्षण है जिन्हें आप समझ कर या जानकर डिप्रेशन जैसी बीमारी से बच सकते हैं और लोगों को इससे बचा भी सकते हैं।
1. अंतहीन दुख
जब दुख का अनुभव 2 हफ्ते से अधिक हो जाए और उसका कोई महत्वपूर्ण कारण भी न हो, तब इस प्रकार की अवस्था डिप्रेशन का कारण बनती है। व्यक्ति को अपने दुखी होने का कारण भी नहीं पता रहता और वह असहाय महसूस करता है। ऐसी अवस्था में यदि व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से बातचीत करें या अपने विचारों को दूसरों से कहे तो वह अवसाद से बच सकता है।
2. हिचकिचाहट या चिड़चिड़ापन महसूस करना-
यदि आप लंबे समय से खुद को अपसेट या डाउन फील कर रहे हैं या फिर किसी की छोटी सी बात पर भी गुस्सा करते हैं या इरिटेट हो जाते हैं,तो यह अवस्था भी डिप्रेशन का कारण बनती है।
3. किसी काम में लगन न रह जाना-
यदि आप किसी खेल को खेलने के शौकीन है या आपको कोई अन्य शौक है और अचानक आपको अपने इन्हीं कामों में मन नहीं लग रहा तो इसका मतलब है कि आप डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। ऐसी अवस्था में आपको किसी व्यक्ति के सहारे की जरूरत होती है जो आपको आपके काम के लिए मोटिवेट करें।
4. अलगाव या लोगों से दूर रहने की भावना-
यदि व्यक्ति स्वयं को अपने दोस्तों से दूर दूर रखता है किसी सामाजिक गतिविधि में कोई उत्साह प्रकट नहीं कर रहा, लोगों से बातचीत करना लोगों से मिलना जुलना उसे अच्छा नहीं लग रहा तब यह मानसिक स्थिति अवसाद का कारण बनती है।
5. कम या अधिक नींद आना-
अवसाद से ग्रसित व्यक्ति या तो ठीक ढंग से सो नहीं पाता या थोड़ी-थोड़ी देर में उसकी नींद खुल जाती है या फिर वह लंबे समय के लिए सोता रहता है। उसकी दिनचर्या में भी बदलाव आने लगता है यह लक्षण डिप्रेशन की ओर इशारा करता है।
6. खाने की आदतों में बदलाव-
डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति अधिक खाना खाने लगता है या उसे खाने से हीन भावना हो जाती है जिससे उसके शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है और उसका स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है।
7. निराशावादी और आत्महत्या जैसे विचारों का उत्पन्न होना-
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डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति खुद को होपलेस और आइसोलेटेड महसूस करता है उसे अपने जीवन का कोई उद्देश्य नजर नहीं आता। इस तरह की बातों को मन में बार-बार लाने से उनके अंदर आत्महत्या करने का विचार भी पनपने लगता है।
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निष्कर्ष-
उपरोक्त लिखी हुई बातों को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे की व्यक्ति किस तरह अनजाने में अवसाद जैसी बीमारी को अपने अंदर जन्म देता है और अपने जीवन को उद्देश्यहीन बना बैठता है। आशा है कि यह आर्टिकल पढ़ने के बाद आप डिप्रेशन के लक्षणों को पहचानने में सफल होंगे और खुद को और अन्य लोगों को भी डिप्रेशन जैसी बीमारी से बचा पाएंगे।